दिवाली की मनमोहनी विजेता
दिवाली की आने से दिनों पहले से ही शहर में बाजार जगमगाता रहता है। इस शानदार त्योहार के लिए प्रत्येक घर अपना भीतरी और बाहरी साजसूज तैयार करता है। हर घर में दीवाने जलाने के साथ-साथ चंद टापू भी जलाए जाते हैं। यह तो निश्चित है कि दिवाली एक ऐसा त्योहार है जो हर जगह मन में खुशियाँ फैलाता है। शहर की गलियों पर बाजार में यह दृश्य बहुत ही प्रेमिक होता है। प्रत्येक बाजार शीर्षक उत्पन्न करने वाले चार्जरों और उनको खरीदने वालों के बारे में बातचीत की तरह दिखता है। जैसे जैसे दिवाली की तारीख आ जाती है, शहर में यह मनमोहनी विश्वास और युक्तियों का निर्माण बनता है जो एक साथ खुशियों का बहार फैलाता है।
हर घर में लगातार डिया जलाने की मंजूरी दी जाती है। सामान्यतः लोग अपने घर के प्रत्येक कोने में दीवाने जलाते हैं ताकि पापता को घर से बाहर दबाया जा सके। इस प्रकार, दीवाली न केवल प्रतिकूलताओं से बचाने का तरीका है, बल्कि खुशियों को बढ़ावा देने का भी है। घर की एक तरफ लॉग दीये जलाते हैं, जबकि दूसरी तरफ वे खुशियों के कवच से घर को घिरते हैं। यह सारा प्रक्रिया एक ट्रायड खुशियों और निर्भयता का प्रतीक बनती है।
दिवाली दिन की तारीख पर जब इन डियों को जलाया जाता है, तो यह दृश्य बहुत ही सौंदर्यपूर्ण होता है। चंद रातों में दीवाने की आग आकाश में आक्रामक चमकती है, जो सारे शहर को छानती है। यह एक ऐसा दृश्य है जो लोगों के मन में खुशियाँ फैलाता है। दिवाली का दिन न केवल एक दिन का है, बल्कि इसका प्रभाव दिनों तक चलता रहता है।